छठ पूजा की तैयारी पूरी, आज दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य by www.samaylive.com
आज डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इस पर्व का समापन होगा.
छठ पूजा के लिए दिल्ली में यहां यमुना नदी के तटों की सफाई की गई है तथा अन्य इंतजाम किए गए हैं.
दिल्ली सरकार के अनुसार लगभग 40 लाख लागों के यमुना तटों पर पहुंचने की संभावना है.
छठ पर्व छठ, षष्ठी का अपभ्रंश है. कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली मनाने के तुरंत बाद मनाए जाने वाले इस चार दिवसीय व्रत की सबसे कठिन है और महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की होती है.
इसी कारण इस व्रत का नामकरण छठ व्रत हो गया.
छठ लोक आस्था का पर्व है जो सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध है.
मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है. यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है. पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में.
चैत्र शुक्लपक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्लपक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है.
यह पर्व पारिवारिक सुख-समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए मनाया जाता है.
छठ व्रत के सम्बंध में कई कथाएं प्रचलित हैं.
एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत किया. इससे उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं और पांडवों को राजपाट वापस मिल गया.
लोकपरंपरा के अनुसार सूर्य देव और छठी मइया का सम्बंध भाई-बहन का है. लोक मातृ षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी.
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दिल्ली सरकार के अनुसार लगभग 40 लाख लागों के यमुना तटों पर पहुंचने की संभावना है.
छठ पर्व छठ, षष्ठी का अपभ्रंश है. कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली मनाने के तुरंत बाद मनाए जाने वाले इस चार दिवसीय व्रत की सबसे कठिन है और महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की होती है.
इसी कारण इस व्रत का नामकरण छठ व्रत हो गया.
छठ लोक आस्था का पर्व है जो सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध है.
मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है. यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है. पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में.
चैत्र शुक्लपक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्लपक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है.
यह पर्व पारिवारिक सुख-समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए मनाया जाता है.
छठ व्रत के सम्बंध में कई कथाएं प्रचलित हैं.
एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत किया. इससे उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं और पांडवों को राजपाट वापस मिल गया.
लोकपरंपरा के अनुसार सूर्य देव और छठी मइया का सम्बंध भाई-बहन का है. लोक मातृ षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी.
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बिहारकी छठ-पूजा (कार्तिक शुक्ल षष्ठी)के विषय में बिहार से बाहरके लोग कम ही जानते हैं। यह शायद एकमेव पर्व है जब डूबते सूर्यको अर्घ्य दिया जाता है। पिछले सप्ताह यह पर्व था और मन में विचार गूँजने लगा कि ऐसा क्या खास है इस दिन में -- फिर संक्रांति की याद आई -- कि उस दिनकी खासियत तो मैं ही बच्चोंको समझाया करती थी -- वर्षका सबसे Late सूर्योदय । फिर झटसे पंचांग खोलकर देखा और पाया कि वाकई छठकी भी वैसी ही खासियत है -- वर्षका सबसे Earliest सूर्यास्त । अब कोई चाहे कह ले कुछ भी -- मुझे तो लगता है कि ये सारे पर्व हमें सरलतासे भूगोल-खगोल सिखानेके लिये ही थे।
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